Mangal Bhavan Amangal Hari |  मंगल भवन अमंगल हारी

भारतवर्ष में प्रसिद्ध चौपाई ‘मंगल भवन अमंगल हारी’ तुलसीदास द्वारा रचित “श्रीरामचरितमानस” के बालकांड में वर्णित है।

मंगल भवन अमंगल हारी । द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी ॥

मंगल के धाम, अमंगल के हरने वाले और श्रीदशरथजी के आँगन में खेलने वाले वे (बालरूप) श्रीराम मुझ पर कृपा करें।“

इस चौपाई के माध्यम से भगवान राम से प्रार्थना और विनती की जाती है कि वे हमारे अमंगलों का नाश करें और हम पर कृपा करें।