Atithi Devo Bhava   अतिथि देवो भव

अतिथि देवो भव | Atithi Devo Bhava मात्र एक वाक्य नहीं है, ये हमारे देश और हमारे ग्रंथो का परिचय भी है।

अतिथि कोई भी हो सकता है हमारे दोस्त या हमारे रिश्तेदार या कोई अन्य जान-पहचान के लोग, हमें उनका स्वागत सच्चे दिल से करना चाहिए।

“मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्य देवो भव ।अतिथिदेवो भव ।

भारत में अतिथि देवो भव | Atithi Devo Bhava की परम्परा आज से नहीं बल्कि सदियों पहले ही इसकी नींव रखी गई थी ।

आदर सत्कार द्वारा प्रभु श्री कृष्ण ने हमें यही शिक्षा दी कि अतिथि भगवान का रूप है, जिसके जरिये ईश्वर हमारे सामने आते है, अतः हमें अतिथि का आदर सत्कार सच्चे मन से करना चाहिए।