vachan kise kahate hain | वचन किसे कहते हैं ?

vachan kise kahate hain | वचन किसे कहते हैं ? वचन हिन्दी व्याकरण में उतना ही महत्व रखता है जितना भाषा के लिए वर्ण। संख्या का बोध कराने वाले वचन संज्ञा, सर्वनाम और क्रिया पदों के रूप परिवर्तित कर देते हैं।
ऐसे में एकवचन और बहुवचन के बारे में विस्तृत जानकारी कर लेने से वचन के भेदों के बारे में आसानी से समझा जा सकता है। इस आलेख में हम वचन किसे कहते हैं और वचन की परिभाषा जैसे मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा के साथ-साथ वचन परिवर्तन और रूपांतर के नियमों से भी परिचित होंगे।
आइए सबसे पहले समझते हैं कि vachan kise kahate hain | वचन किसे कहते हैं ?
vachan kise kahate hain | वचन किसे कहते हैं ?
हिन्दी भाषा में संज्ञा का वह लक्षण जो एक या एक से अधिक संख्या का बोध कराता है, उसे वचन कहा जाता है। वचन संज्ञा शब्दों के साथ-साथ सर्वनाम, विशेषण, और क्रिया शब्दों के भी संख्या बोध कराने में सक्षम होते हैं। आइए अब वचन की परिभाषा जान लेते हैं-
वचन की परिभाषा: “संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया शब्दों के जिन रूपों से एक या एक से अधिक होने का बोध होता है, उन्हे हिन्दी में वचन कहते हैं।“
अगर हम वचन के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो इसका शाब्दिक अर्थ है ‘संख्यावाचन’। वचन शब्द का अर्थ ‘कहना’ या ‘बात’ के संदर्भ में माना जाता है। वचन भाषा विज्ञान का एक महत्वपूर्ण अंग है।
निम्नलिखित वाक्य देखिये:
1. लड़का दौड़ रहा है।
2. लड़के दौड़ रहे हैं।
3. लड़की पढ़ रही है।
4. लड़कियां पढ़ रही हैं।
वाक्य 1 और 3 में एक लड़के और एक लड़की की बात हो रही है। अर्थात संख्या में एक-एक का ही बोध हो रहा है। इन दोनों वाक्यों में एकवचन का प्रयोग हुआ है।
वाक्य 2 और 4 में लड़के और लड़कियां शब्दों का प्रयोग हुआ है जो बहुवचन का बोध करा रहे हैं। अर्थात एक से अधिक संख्या का पता चलता है। इसलिए वाक्य संख्या 2 और 4 में बहुवचन है।
अब आप जान गए हैं कि vachan kise kahate hain | वचन किसे कहते हैं ? और वचन की परिभाषा क्या है।
वैसे तो हिन्दी में दो वचन हैं-एकवचन और बहुवचन। लेकिन इतना कह देने से वचन के भेदों के बारे में आपकी जानकारी पूरी नहीं होगी। इसलिए आइए अब वचन के भेद और वचन के प्रकार से विस्तार में परिचित होते हैं।
Vachan ke prakar ya Bhed वचन के प्रकार
हिन्दी भाषा में वचन के दो भेद होते हैं-एकवचन और बहुवचन। इन्हे ही वचन के प्रकार कहा जाता है। अर्थात वचन के दो प्रकार होते हैं-एकवचन और बहुवचन।
हिन्दी व्याकरण में वचन के दो प्रकार अँग्रेजी भाषा के समान ही हैं। अँग्रेजी भाषा में भी वचन के दो (Singular and Plural) ही प्रकार होते हैं। किन्तु संस्कृत भाषा में वचन के तीन प्रकार होते हैं-एकवचन, द्विवचन और बहुवचन।
हिन्दी के दोनों वचन इस प्रकार हैं:
Ek vachan kisi kahate hai एकवचन किसे कहते है ?
एकवचन की परिभाषा: जिस विकारी शब्द रूप से हमें किसी एक वस्तु, व्यक्ति, प्राणी, या पदार्थ का बोध होता है, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे-पेड़, लड़का, लड़की, खिड़की, पंखा, तितली, किताब, बकरी, दरवाजा, घोड़ा, बच्चा इत्यादि।
एकवचन शब्द के उदाहरण: लड़का, लड़की, खिड़की, पंखा, तितली, किताब, बकरी, दरवाजा, घोड़ा, बच्चा, पेड़, लड़की, गाय, पिता, माला, मैं, वह, यह, रुपया, टोपी, बंदर, केला, संतरा, अमरूद, तोता, चूहा, पर्वत, नदी, स्त्री, पुरुष, बालक, पवन, पहाड़, कीड़ा, शीशा इत्यादि।
अब आप एकवचन जान गए हैं। आइए अब हिन्दी भाषा में प्रयोग किए जाने वाले बहुवचन से भी परिचित हो जाते हैं।
Bahu vachan kisi kahate hai बहु वचन किसे कहते है ?
बहुवचन की परिभाषा: जिस विकारी शब्द रूप से हमें किसी अनेक (एक से अधिक) व्यक्तियों, वस्तुओं, प्राणियों या पदार्थों का बोध होता है, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे-लड़के, पुस्तकें, गधे, कपड़े, बच्चे, चिड़ियाँ, गुड़ियाँ, आपलोग, घोड़े इत्यादि।
एकवचन शब्द के उदाहरण: लड़के, लड़कियां, मालाएँ, राष्ट्रों, गुरुओं, पुस्तकें, गधे, कपड़े, बच्चे, चिड़ियाँ, गुड़ियाँ, आपलोग, घोड़े, माताएँ, गायें, टोपियाँ, वधुएँ, रोटियाँ, बेटे, केले, चूहे, तोते, पर्वतों, नदियों, हम, वे, बकरियाँ, पैसे, लाखों, इत्यादि।
वचन के उदाहरण
हिन्दी भाषा के वाक्यों में एकवचन और बहुवचन दोनों का ही यथास्थान प्रयोग होता है। एकवचन और बहुवचन के उदाहरण निम्नलिखित हैं:
एकवचन | लड़का | स्त्री | कामना | कथा | लता | पत्नी | पुस्तक |
बहुवचन | लड़के | स्त्रियाँ | कामनाएँ | कथाएँ | लताएँ | पत्नियाँ | पुस्तकें |
अभी आपने एकवचन और बहुवचन शब्दों के कुछ उदाहरण देखे। आइए अब इन शब्दों के वाक्य प्रयोग भी देख लेते हैं।
एकवचन और बहुवचन के वाक्य-
एकवचन वाक्य | बहुवचन वाक्य |
लड़का पढ़ता है। | लड़के पढ़ते हैं। |
स्त्री खाना बना रही है। | स्त्रियाँ खाना बना रही हैं। |
मेरी कामना पूर्ण हुई। | मेरी कामनाएँ पूर्ण हुईं। |
लेखक की कथा प्रकाशित हुई। | लेखक की कथाएँ प्रकाशित हुईं। |
पेड़ से लता लटक रही है। | पेड़ से लताएँ लटक रही हैं। |
उसकी पत्नी शिक्षिका है। | उनकी पत्नियाँ शिक्षिकाएँ हैं। |
मैंने पुस्तक पढ़ ली। | मैंने पुस्तकें पढ़ लीं। |
अब आपने vachan kise kahate hain | वचन किसे कहते हैं ? तथा एकवचन और बहुवचन के वाक्य में प्रयोग और उदाहरण देख लिए हैं। इससे इन वचनों के प्रयोग के बारे में आपके भ्रम दूर हो गए होंगे। आइए अब एक वचन से बहुवचन में और बहुवचन से एकवचन में परिवर्तन के नियम समझ लेते हैं। वचन के रूपांतर के विषय में आगे विस्तार से दिया गया है।
वचन परिवर्तन (रूपांतर) और वचन प्रयोग के नियम
सर्वप्रथम तो यह जानना आवश्यक है कि ‘वचन’ परिवर्तन में केवल संज्ञा शब्दों का ही रूपांतर होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के रूप वाक्य में प्रयुक्त हुई संज्ञा पर ही आश्रित होते हैं।
इसलिए संज्ञा के वचन परिवर्तन (वचन बदलो) करने पर सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के रूप स्वतः परिवर्तित हो जाते हैं। यह कहा जा सकता है कि वचन के कारण वाक्य में सभी शब्दों के रूप में विकृति आ जाती है और उनके रूप परिवर्तित हो जाते हैं।
वचन के कारण संज्ञा शब्द रूपों में दो प्रकार से परिवर्तन होता है-(क) विभक्तिरहित और (ख) विभक्तिसहित।
सबसे पहले विभक्ति का अर्थ समझ लीजिये। जब हम ‘ने’, ‘को’, ‘के’, ‘से’, ‘का’, ‘की’, ‘में’, ‘पर’ इत्यादि शब्दों को बहुवचन शब्दों के आगे प्रयोग करते हैं तो वे विभक्ति कहलाती हैं। यहाँ एकवचन से बहुवचन बनाने में विभक्तियों का प्रयोग होता भी है और नहीं भी।
अर्थात एकवचन से बहुवचन में परिवर्तन विभक्तियों के सहित और विभक्तियों के बिना भी होता है। दोनों परिवर्तन आगे दिये गए हैं।
(क) विभक्तिरहित संज्ञा शब्दों के बहुवचन बनाने के नियम
विभक्तिरहित एकवचन के बहुवचन में परिवर्तन को परसर्गरहित एकवचन से बहुवचन में बदलाव भी कहा जाता है। यहाँ परसर्ग का तात्पर्य विभक्ति से है।
1. जिन पुल्लिंग संज्ञाओं के अंत में आ (आकारांत) आए उन्हे बहुवचन में बदलने के लिए आकारांत को एकारांत कर दिया जाता है। अन्य शब्दों में कहें तो एकवचन पुल्लिंग संज्ञा पदों के अंतिम में ‘आ’ का ‘ए’ हो जाता है। जैसे-
कमरा-कमरे, कुत्ता-कुत्ते इत्यादि।
अन्य उदाहरण देखिये-
एकवचन | बहुवचन | एकवचन | बहुवचन |
लड़का | लड़के | बच्चा | बच्चे |
घोड़ा | घोड़े | पहिया | पहिये |
गधा | गधे | तकिया | तकिये |
कपड़ा | कपड़े | रुपया | रुपये |
इस नियम के अपवाद-हिन्दी भाषा में संस्कृत के समान ही कुछ ऐसी पुल्लिंग संगयाएँ हैं, जिनके बहुवचन और एकवचन दोनों ही रूप एक समान होते हैं। इनमें संबंधवाचक और अन्य शब्द आते हैं। जैसे-नाना, मामा, दादा, युवा, आत्मा, देवता, जामाता, पिता, इत्यादि। अन्य उदाहरण देखिये-
एकवचन वाक्य | बहुवचन वाक्य |
तुम्हारे नाना विदेश गए हैं। | तुम्हारे दोनों नाना विदेश गए हैं। |
प्रकाश तुम्हारे मामा हैं। | रमेश और प्रकाश तुम्हारे मामा हैं। |
शिवेश महान योद्धा है। | युद्ध में कई योद्धा परास्त हुए। |
मेरा पुत्र युवा हो गया है। | मेरे सभी पुत्र युवा हो गए हैं। |
कर्ण एक महान दाता था। | इस अस्पताल के कई दाता हैं। |
2. उकारांत, अकारांत, इकारांत, ईकारांत आदि एकवचन पुल्लिंग संज्ञा शब्दों का एकवचन से बहुवचन में रूप परिवर्तित नहीं होता। इनके रूप दोनों वचनों में एक समान रहते हैं। उदाहरण के लिए एक बालक के लिए भी बालक कहा जाएगा और दो या दो से अधिक के लिए भी बालक शब्द का प्रयोग होता है। जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
यह कवि योग्य है। | ये कवि योग्य हैं। |
बालक पड़ता है। | बालक पढ़ते हैं। |
मदारी के पास भालू है। | मदारी के पास भालू हैं। |
दुकान पर आदमी बैठा है। | दुकान पर आदमी बैठे हैं। |
हाथी आया है। | हाथी आए हैं। |
पति आया है। | पति आए हैं । |
3. एकवचन से बहुवचन बनाते समय स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में इकारांत, ईकारांत शब्दोंके अंत में ‘ई’, और ‘इ’ के बदले ‘इयाँ’ हो जाता है। इस ‘इयाँ’ में हृस्व ‘इ’ का प्रयोग होता है। जैसे-
एकवचन बहुवचन
लड़की लड़कियाँ
नदी नदियाँ
गाड़ी गाडियाँ
तिथि तिथियाँ
रीति रीतियाँ
नारी नारियां
नीति नीतियाँ
4. जिन स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के अंत में ‘आ’, ‘अ’, ‘उ’, ‘ऊ’, ‘औ’, इत्यादि आते हैं, उनके बहुवचन बनाने के लिए अंत में ‘एँ’ जोड़ दिया जाता है। जैसे-
एकवचन बहुवचन
माला मालाएँ
मेज मेजें
वस्तु वस्तुएँ
गौ गौएँ
5. जिन स्त्रीलिंग संज्ञा पदों के अंत में ‘या’ होता है, उनके बहुवचन बनाने के लिए मात्र अनुनासिक (चन्द्रबिन्दु) जोड़ दिया जाता है। जैसे-
चिड़िया-चिड़ियाँ, डिबिया-डिबियाँ, गुड़िया-गुड़ियाँ, बुढ़िया-बुढ़ियाँ इत्यादि।
(ख) विभक्तिसहित संज्ञा शब्दों के बहुवचन बनाने के नियम
परसर्ग या विभक्तियों से युक्त होने पर एकवचन शब्दों से बहुवचन बनाने के नियम निम्नलिखित हैं-
1. आकारांत पुल्लिंग संज्ञा पदों के साथ परसर्ग (ने, को, से, में, पर, का इत्यादि) लगने पर अंतिम ‘अ’, ‘आ’, या ‘ए’ के बदले ‘ओं’ हो जाता है। जैसे-
एकवचन | बहुवचन | विभक्तिसहित बहुवचन प्रयोग |
लड़का | लड़कों | लड़कों ने पढ़ा। |
कमरा | कमरों | कमरों में धूल जम गई। |
घर | घरों | घरों में अंधेरा फैला है। |
घोड़ा | घोड़ों | घोड़ों की आवाज आ रही है। |
2. अकारांत , उकारांत, इकारांत, ईकारांत आदि संज्ञा एकवचन पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों प्रकार के शब्दों को बहुवचन बनाने के लिए अंत में ‘ओं’ जोड़ दिया जाता है। जैसे-
घर-घरों, लड़की-लड़कियों, बहन-बहनों, पशु-पशुओं, कवि-कवियों, आदमी-आदमियों, बहू-बहुओं, साधू-साधुओं इत्यादि।
ध्यान देने की बात है कि ‘ईकारांत’ और ‘ऊकारांत’ दोनों प्रकार के पदों के अंतिम दीर्घ ‘ई’ और दीर्घ ‘ऊ’ बहुवचन में हृस्व हो जाते हैं। जैसे-लड़की का लड़कियों।
अन्य शब्द रूपों का बहुवचन
(क) कभी-कभी एकवचन से बहुवचन बनाने के लिए ‘जन’, ‘गण’, ‘वर्ग’, या वृंद जैसे शब्दों को जोड़ दिया जाता है। जैसे-
- पाठक-पाठकगण
- गुरु-गुरुजन
- छात्र-छात्रगण
- मजदूर-मजदूर वर्ग
- स्त्री-स्त्रीजन
- आप-आपलोग
- अधिकारी-अधिकारीवर्ग
(ख) हिन्दी में कुछ ऐसे भी शब्द हैं जो ‘समूह’ का बोध कराते हैं। लेकिन वे सदा एकवचन में ही इस्तेमाल किए जाते हैं। जैसे-सेना, कक्षा, भीड़ इत्यादि।
(ग) कुछ एकवचन शब्द ऐसे भी होते हैं जो सदा बहुवचन में प्रयोग किए जाते हैं। जैसे-दर्शन, प्राण, आँसू, ओठ, दाम, अक्षत, हस्ताक्षर, प्राण इत्यादि।
- मुझे आपके दर्शन प्राप्त हुए।
- उसके आँसू बह गए।
- मेरे हस्ताक्षर की नकल की गई है।
- संकट के समय उसके प्राण सुख गए।
- भाय के मारे उसके ओठ सुख गए।
- टमाटर के दाम घट गए।
(घ) हिन्दी में आदरसूचक एकवचन संज्ञा शब्दों के लिए भी बहुवचन का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे-
- आपके पिताजी दयालु हैं।
- शर्मा जी आज दफ्तर नहीं आए हैं।
- हमारे अध्यापक आज छुट्टी पर हैं।
- ये हमारे बड़े भाई हैं।
- गांधीजी कई लोगों के आदर्श हैं।
- दादा जी कचहरी से आ गए।
इसके अलावा हिन्दी में वचन बनाते समय कुछ ऐसे भी शब्द होते हैं जो सदा एकवचन में ही प्रयोग किए जाते हैं। जैसे-‘प्रत्येक’, ‘हरएक’, ‘कोई’, ‘जनता’, ‘वर्षा’, ‘आग’ इत्यादि।
शब्द | वाक्य प्रयोग |
प्रत्येक | प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित है। |
हरएक | हरएक आदमी मूर्ख निकला। |
कोई | कोई नहीं जानता आगे क्या होगा। |
जनता | जनता चुनाव जिताती है। |
वर्षा | आज वर्ष होगी। |
आग | आग लगने पर कुआं खोदना व्यर्थ है। |
हिन्दी में द्रव्यवाचक संज्ञाओं का प्रयोग भी सदा एकवचन में ही होता है। जैसे-सोना, धन, तेल, इत्यादि। उदाहरण के लिए-कृष्ण के पास बहुत सोना है। आज बहुद धन प्राप्त हुआ है। लेकिन अगर वाक्य में द्रव्य के अलग-अलग प्रकार का बोध हो रहा हो, तो ऐसी द्रव्यवाचक संज्ञा पद बहुवचन में इस्तेमाल होगा। जैसे-
- उनकी दुकान पर लोहे की कई किस्में उपलब्ध हैं।
- अलग-अलग तिलहनों के तेल प्रयोग करने चाहिए।
- आज सोने के ढेर सारे सिक्के मिले।