Monday, December 4, 2023
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TRUTH?सत्य क्या है ?

TRUTH

TRUTH अर्थात सत्य क्या है ? मानव का जब से उदभव हुआ है तब से विकास की प्रक्रिया जारी है | उदभव से विकास की अनंत प्रक्रिया में हमेशा सत्य की खोज हमारे अस्तित्व का आधार रहा है | सभी शास्त्रों एवं संस्कृतियों में सत्य को जीवन का एक आधारभूत पहलू माना है | पौराणिक पद्धति में पंचशील के सिद्धांत की मान्यता है | पंचशील की मान्यता में पाँच अंग शामिल है | सत्य , अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह एवं ब्रह्मचर्य | पंचशील सिद्धांत का पहला आधार ही सत्य है | शेष सिद्धांतो की सफलता सत्य पर ही टिकी हुई है | पतंजलि के योगसूत्र में यम के अंतर्गत पहला यम सत्य ही है | योगियों के लिए सत्य ही ईश्वर है | सच से बड़ा कुछ भी नहीं |

VIPASSANA

भगवदगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है – हे अर्जुन | सत्य (TRUTH)का तीनो कालो के कभी अभाव नहीं रहा है | सत्य से ही सृष्टि गतिमान है | सिद्धार्थ गौतम का भगवान बुद्ध बनने की पूरी प्रक्रिया सत्य पर ही आधारित है | उनका एक और नाम तथागत इसीलिए है क्योंकि उन्होंने तथता या सत्य के आधार पर बुद्ध बनने का गौरव प्राप्त किया | इसी का अभ्यास विपश्यना ध्यान में किया जाता है | विपश्यना , सत्य को ही विशेष प्रकार से देखना है |

भगवान् बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का प्रमुख आधार सत्य(TRUTH) पर ही केंद्रित है |भगवान् बुद्ध ने अपनी सांस को ही सत्य का आलम्बन माना और विपश्यना ध्यान से स्वयं को जाना | तथता या सत्य , कल्पना के विपरीत है | वर्तमान में बहुत से लोग या शिक्षाए कल्पना या विसुअलाइजेशन की विधि बताते है जो सही नहीं है | सच का अर्थ है जो घटित हो रहा है | परम ज्ञान को यदि जानना है तो वह सच को स्वीकार करने के साथ ही शुरू होता है | पृकृति में तीन तरह के गुण पाए जाते है जिसे हम -सत्व ,रज एवं तमो गुण के नाम से जानते है | आप माने या न माने संसार का प्रत्येक जीव इन्ही तीन गुणों के हिसाब अर्थात अपनी प्रकृति के हिसाब से अपना कार्य कर रहा है | तमोगुण वाला व्यक्ति सच से उतना ही दूर होता है , जबकि सत्व गुण वाला व्यक्ति सत्य के उतना ही करीब | रजोगुण व्यक्ति के जीवन में सत्य एवं असत्य दोनों का ही मिश्रण होता है |


TRUTH

सबसे बड़ा सवाल है की व्यावहारिक जीवन में सत्य का क्या मतलब है ? आमतौर पर लोग सत्य से तात्पर्य सत्य बोलने या सत्यकर्म से लगाते है | सत्य से तात्पर्य केवल सत्य बोलना ही नहीं है | सत्य एक व्यापक अवधारणा है | जीवन का प्रत्येक क्षण , प्रत्येक पथ सत्य आधारित होना चाहिए | यदि जीवन को सत्यता के साथ जीने का प्रयास किया जाये तो जीवन को परम ज्ञान तक रूपांतरित किया जा सकता है | सत्य दिखावे की वस्तु नहीं है बल्कि सत्य आचरण की वस्तु है | वर्तमान में अधिकांश मनुष्य की समस्या का कारण सत्य से दूर होकर केवल दिखावे का आचरण करना है | दुसरो के साथ छोड़ भी दे यदि केवल हम स्वयं के साथ भी सत्य निष्ठा रखे तो जीवन को कई गुणा बेहतर बना सकते है | प्रत्येक मनुष्य स्वयं को जितना जानता है , उतना उसे कोई नहीं जान सकता | लेकिन वह स्वयं को भी धोखा देता रहता है | माया या प्रकृति का खेल ऐसा है की बहुत कम ही लोग सत्य को समझ पाते है |

SATYA KYA HAI

जीवन में असत्य जान पाना भी सत्य को जानने का आधार है | मोहनदास करमचंद गाँधी से महात्मा गाँधी बनने की पूरी प्रक्रिया सत्य आधारित है | गाँधी भौतिक रूप में एक बहुत साधारण इंसान थे लेकिन उनके जीवन में सत्य का ही वह तत्व था जिसने उनके जीवन को रूपांतरित करके रख दिया | उनकी आत्मकथा ” सत्य के साथ मेरे प्रयोग ” सत्य का उनके जीवन में महत्त्व को बताता है | सत्य ने ही गाँधी जैसे एक साधारण इंसान को अंग्रेजो की पूरी सेना के सामने अकेले खड़ा होने साहस पैदा किया | आनंद या सुख मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है | लेकिन जैसा भगवान बुद्ध ने कहा संसार सर्वत्र दुःख ही दुःख है | आज का अधिकांश मानव दुःखों से ग्रस्त है तथा सुख से वंचित है |

सत्य (TRUTH)के सहारे इन दुःखों पर विजय प्राप्त किया जा सकता है | इंसान के चरित्र में यदि सत्य का अंश हो तो वह हमेशा उस परम सुख या आनंद की अवस्था में रह सकता है | इसी को “सत-चित- आनंद ” कहा जाता है | सत् अर्थात सत्य , चित अर्थात मन और आनंद अर्थात सुख | व्यावहारिक जीवन से भी सीखा जा सकता है | जब भी हम सत्य का अनुसरण करते है , हमारा चित या मन बहुत शांत एवं स्पष्टता के साथ होता है | वही जब हम असत्य के रास्ते पर होते है तो यह अनेक प्रकार की चिंताओं , भय, और द्वन्द से भरा होता है |

courtesy: google images

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