“महालया अर्थात पितृपक्ष से मातृपक्ष की ओर। माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना और उनसे आशीर्वाद लेने का समय।”
महालया, यानी कि अमावस्या का आगमन तथा मातृ पक्ष शुरुआत। सनातनी परंपराओं में, यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह देवी अर्थात मातृ पक्ष की शुरुआत का प्रतीक है, जो की माँ दुर्गा की पूजा को समर्पित दो सप्ताह तक की अवधि है।
महालया का दिन माँ दुर्गा की पूजा, तैयारियों और उत्सवों की औपचारिक शुरुआत के रूप में चिह्नित है, जिसे भव्य सजावट, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा पारंपरिक अनुष्ठानों द्वारा मनाया जाता है।
महालया 2023 कब है?
महालया 2023,14 अक्टूबर यानी कि आज है।

महालया अर्थात पितृ पक्ष का अंत
महालया का त्यौहार पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है, जो कि 16 दिनों की अवधि है, इस अवधि के दौरान हिंदू धर्म के लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं।
महालया यानी कि देवी पक्ष की शुरुआत
देवी पक्ष अर्थात देवी दुर्गा की पूजा को समर्पित नौ विशेष दिनों की अवधि है।
महालया में तर्पण अनुष्ठान
महालया पर ख़ास तौर से पूर्वी भारत में गंगा नदी में तर्पण अनुष्ठान करने की परंपरा है। तर्पण अर्थात मृत पूर्वजों को जल तथा अन्य वस्तुएं समर्पित करने की एक प्रथा है। सनातन धर्म के अनुसार महालया पर तर्पण करने से उनके पूर्वजों को परलोक जाने में सहायता मिलती है। महालया हमारे पूर्वजों से आशीर्वाद लेने का समय है।
महालया पर महिषासुर मर्दिनी स्त्रोत
महालया के पावन दिन पर “महिषासुर मर्दिनी” स्त्रोत अवश्य सुनना या पढ़ना चाहिए। आप इसे बीरेंद्र कृष्ण भद्र रेडियो प्रसारण में भी सुन सकते हैं। उन्होंने देवी महात्म्य के छंदों का संगीतमय रूप से गायन किया है। दुनिया भर के लोग बीरेंद्र कृष्ण भद्र के काव्य आह्वान को सुनने के लिए महालया को सुबह जल्दी उठ जाते हैं।