18 अक्टूबर 2023। असम में हर साल काटी बीहू का त्योहार बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। असमिया कलेंडर के अनुसार काटी महीने में पड़ने वाला बीहू का त्योहार काटी बीहू के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष 2023 में काटी बीहू का पर्व 18 अक्टूबर को मनाया गया है। असम में काटी बीहू को कोंगाली बीहू के नाम से भी जाना जाता है। काटी बीहू त्योहार चावल की फसल से जुड़ा पर्व है और नई फसल के मौसम की शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
‘काटी’ शब्द का अर्थ है काटना। इस समय धान के पौधे को स्थानांतरित किया जाता है। काटी बीहू प्रकाश का पर्व भी माना जाता है क्योंकि इस दिन लोग अपने घरों और धान के खेतों में दिया जलाकर प्रकाश करते हैं।

काटी बीहू त्योहार का महत्व
असम में बीहू का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वैसे असम में 3 बीहू के पर्व मनाए जाते हैं। जनवरी में भोगाली या माघ बीहू, अप्रैल में रोंगाली या बोहाग बीहू और दिवाली से पहले अक्टूबर में काटी बीहू। बीहू के तीनों पर्व कृषि से संबन्धित हैं।

काटी बीहू को कोंगाली बीहू भी कहा जाता है। अक्टूबर महिना आते-आते घरों और गोदामों में अनाज खत्म होने लगता है। इसलिए अनाज के मामले में कंगाली आने लगती है। इस समय कंगाली दूर करने और अच्छी फसल के लिए काटी बीहू का पर्व मनाया जाता है।
कैसे मनाते हैं काटी बीहू का त्योहार
काटी बीहू का पर्व किसानों और आम जनता द्वारा मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, तुलसी और खेतों की पूजा की जाती है। तुलसी के पौधे, खेतों में और माता लक्ष्मी के लिए रात में दिये (साकी) जलाए जाते हैं।

किसान लोग रात में अपने खेतों में जाते हैं और दीपक जलाकर पूजा करते हैं। धान के खेतों में किसान जो दीपक जलाते हैं, उसे स्थानीय भाषा में ‘अकाश बंटी’ कहा जाता है। काटी बीहू पर्व की रात में सरसों के तेल के दीपक ऊंचे बांस के खंभों की नोक पर रखने की परंपरा है।
लोक प्रचलित मान्यता है कि ये दीपक पूर्वजों का मार्ग स्वर्ग की ओर निर्देशित करते हैं। बांस के ऊपर रखे आकाश दीपों से पूर्वजों की आत्माओं को स्वर्ग की ओर रास्ता दिखाया जाता है। असम में धान की देवी माता लक्ष्मी की भी रात में पूजा होती है और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना की जाती है।