क़तर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है। क़तर की एक अदालत ने गुरुवार 26 अक्टूबर को इन भूतपूर्व अधिकारियों को सजा सुनाई है। भारतीय नौसेना के ये पूर्व अधिकारी एक साल से ज्यादा समय से हिरासत में थे।
उन्हे क़तर की खुफिया एजेंसी ने पिछले साल 30 अगस्त को गिरफ्तार किया था। नौसेना के ये पूर्व अधिकारी क़तर में एक प्राइवेट फ़र्म में काम करते थे। ये फ़र्म कतरी एमिरी नौसेना को ट्रेनिंग जैसी सेवाएँ प्रदान करती है।

क़तर की अदालत के इस फैसले पर भारत की सरकार ने आश्चर्य जताया है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की ओर से गुरुवार को एक बयान जारी किया गया है। बयान में कहा गया है कि सरकार क़तर में मौत की सजा पाए सभी 8 भारतीय नागरिकों को रिहा करने के लिए सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।
इजरायल के लिए जासूसी पर हुई सजा
क़तर की सरकार ने सजा पाए 8 भारतीय नागरिकों के आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया है। लेकिन मामले के जानकार विशेषज्ञों का मानना है कि उन पर जासूसी का आरोप है। उन्हे इजरायल के एक सबमरीन प्रोग्राम के लिए जासूसी के कारण सजा सुनाई गई है।

हालांकि अभी तक क़तर की ओर से आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। उनके पारिवारिक सदस्यों को पता ही नहीं कि इन अधिकारियों को किस बात के लिए सजा दी गई है।
भारत सरकार ने क़तर ने अल दहरा कंपनी में काम कर रहे 8 पूर्व नौसैनिकों की सजा पर हैरानी जताते हुए बताया कि सरकार अदालत के फैसले की डिटेल्ड कॉपी का इंतज़ार कर रही है। भारत सरकार इन अधिकारियों के पारिवारिक सदस्यों और कानूनी विशेषज्ञों से संपर्क में है और इस मामले को गंभीरता से ले रही है।
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित एक अधिकारी भी शामिल
जिन 8 लोगों को क़तर की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है उनमें 2019 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कमांडर पूर्णंदू तिवारी (रि.) भी शामिल हैं। इस केस में 29 मार्च 2023 को ही पहली सुनवाई हुई थी। ये सभी लोग दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एवं कंसल्टेंसीज सर्विसेज कंपनी में काम करते थे।
केस के सिलसिले में भारत के विदेश मंत्रालय ने इन पूर्व नौसैनिकों को कांसुलर सेवा प्रदना की थी। क़तर में भारतीय राजदूत ने इन सभी से 1 अक्टूबर को मुलाक़ात भी की थी।