दुर्गा चालीसा DURGA CHALISA

श्री दुर्गा चालीसा एक हिन्दू धार्मिक ग्रंथ है जो माँ दुर्गा को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए लिखा गया है। दुर्गा सप्तशती के समान दुर्गा चालीसा भी देवी भक्तों के बीच अति लोकप्रिय है। प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु घरों और मंदिरों में “नमो नमो दुर्गे” से आरंभ होने वाले दुर्गा चालीसा के जप और पाठ से लाभ उठा रहे हैं।
दुर्गा चालीसा DURGA CHALISA
दुर्गा चालीसा में कुल 40 चौपाइयाँ हैं इसलिए इसे ‘चालीसा’ कहा जाता है। इसमें दुर्गा देवी की महिमा और शक्ति का वर्णन करते हुए उनकी स्तुति की गई और उनसे अनुग्रह की याचना की गई है। दुर्गा माता के भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दुर्गा चालीसा का नित्य पाठ और उच्चारण करते हैं।
देवी भक्तों की सुविधा के लिए यहाँ दुर्गा चालीसा का शुद्ध रूप और बोल (Durga Chalisa Lyrics) हिन्दी में दिये गए हैं। दुर्गा चालीसा मूल पाठ का उसके बोल (Lyrics) सहित लाभ उठाएँ।
दुर्गा चालीसा लीरिक्स DURGA CHALISA LYRICS
दुर्गा चालीसा मूल पाठ
नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूं लोक फैली उजियारी ॥
शशि लिलाट मुख महा विशाला । नेत्र लाल भृकुटी विकराला ॥ रूप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ॥
तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ॥ अन्नपूरना हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्र्लयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ॥ शिव योगी तुमरे गुण गावें । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा । प्रगट भई फाड़ कर खम्बा ॥
रक्षा करि प्रहलाद बचायो । हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ॥ लक्ष्मी रूप धरा जग माहीं । श्री नारायण अंग समाही ॥
क्षीरसिंधु में करत विलासा । दया सिन्धु दीजै मन आसा ॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता । भुवनेश्वरी बगला सुखदाता ॥ श्री भैरव तारा जग तारिणि । छिन्न भाल भव दुःख निवारिणि ॥
केहरी वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ॥ कर में खप्पर खड्ग विराजे । जाको देख काल डर भाजे ॥
सोहे अस्त्र और त्रिशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥ नगर कोटि में तुम्हीं विराजत । तिहूं लोक में डंका बाजत ॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे । रक्त बीज शंखन संहारे ॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अध भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥ परी गाढ़ सन्तन पर जब जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
अमरपुरी अरु बासव लोका । तब महिमा सब रहे अशोका ॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें नर नारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावे । दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे ॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई ॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥ शंकर आचारज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥ शक्ति रूप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछतायो ॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मात कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ॥ आशा तृष्णा निपट सतावै । मोह मदादिक सब विनशावै ॥
शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरों इकचित तुम्हें भवानी ॥ करो कृपा हे मात दयाला । ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ॥
जब लगी जियौ दया फल पाऊं । तुम्हारो यश मैं सदा सुनाऊं ॥ दुर्गा चालीसा जो जन गावे । सब सुख भोग परमपद पावे ॥
देवीदास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा॥
दुर्गा चालीसा लीरिक्स इन हिन्दी Durga Chalisa Lyrics in Hindi
॥ चौपाई॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुख हरनी॥
हिंदी में अर्थ – सुख करने वाली दुर्गा को मेरा नमस्कार है। दुख हरने वाली अम्बा को मेरा नमस्कार है।
निराकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
हिंदी में अर्थ – आपकी ज्योति निराकार है, जिससे तीनों लोकों में प्रकाश फैल रहा है।
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटी विकराला॥
हिंदी में अर्थ – आपका ललाट (मस्तक) चन्द्रमा के समान और मुख अति विशाल है। आपके नेत्र (आँखें) लाल हैं एवं भृकुटियां विकराल रूप की हैं।
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
हिंदी में अर्थ – माता का रूप अत्यधिक सुहावना है। इस रूप का दर्शन करके भक्तजनों को बहुत सुख मिलता है।
तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
हिंदी में अर्थ – संसार की शक्ति का आपने लय किया हुआ है। संसार के पालन हेतु अन्न और धन दिया हुआ है।
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
हिंदी में अर्थ – अन्नपूर्णा के रूप में आप ही जगत का पालन कर रही हैं। हे माँ! आप ही आदि सुन्दरी बाला भी हैं।
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
हिंदी में अर्थ – प्रलयकाल में आप ही समस्त सृष्टि का नाश करती हैं। आप ही भगवान शिव-शंकर की प्रिया गौरी भी हैं।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
हिंदी में अर्थ – शिव एवं समस्त योगी आपका ही गुणगान करते हैं। ब्रह्मा और विष्णु नित्य आपका ही ध्यान करते हैं।
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
हिंदी में अर्थ – आपने ही सरस्वती देवी का रूप धारण किया है। आपने ही सद्बुद्धि देकर ऋषि-मुनियों का उद्धार किया।
धरा रूप नरसिंह को अम्बा। प्रकट हुई फाड़कर खम्बा॥
हिंदी में अर्थ – अम्बा माँ ने ही नरसिंह का रूप धारण किया था और खम्बे को फाड़कर प्रकट हुई।
रक्षा करि प्रहलाद बचायो। हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो॥
हिंदी में अर्थ – आपने प्रहलाद की रक्षा करके उसे बचाया था और हिरण्यकश्यप राक्षस को स्वर्ग भेजा।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
हिंदी में अर्थ – आप ही जग में लक्ष्मीजी का रूप धारण करती हैं और श्री नारायण के अंग में समाई हुई हैं।
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंदी में अर्थ – आप ही भगवान विष्णु के साथ क्षीरसागर में विलास करती हैं। हे दयासिन्धु माँ दुर्गा आप मेरे मन को आस प्रदान करें।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
हिंदी में अर्थ – हे माँ दुर्गा! आप ही हिंगलाज में भवानी के रूप में हैं। आपकी महिमा अमित है जिसका बखान नहीं किया जा सकता।
मातंगी धूमावती माता। भुवनेश्वरि बगला सुखदाता॥
हिंदी में अर्थ – मातंगी और धूमावती माता भी आप ही हैं और भुवनेश्वरी तथा बगलामुखी देवियों के रूप में भी सुखदाता आप हैं।
श्री भैरव तारा जग तारिणि। छिन्न भाल भव दुख निवारिणि॥
हिंदी में अर्थ – श्री भैरवी और तारादेवी के रूप में आप जगत उद्धारक हैं। छिन्नमस्ता के रूप में आप भवसागर के कष्ट दूर करती हैं।
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
हिंदी में अर्थ – सिंह रूपी वाहन आप पर सोहता है और लंगुर (हनुमान जी) वीर आपकी अगवानी में (आगे) चलते हैं।
कर में खप्पर खड्ग विराजे। जाको देख काल डर भाजे॥
हिंदी में अर्थ – आपके कर (हाथों) में खप्पर व तलवार विराजता है जिसे देखकर काल भी डरकर भाग जाता है।
सोहे अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
हिंदी में अर्थ – आपके हाथों में अस्त्र और त्रिशूल सोहते हैं जिनको देखकर शत्रु के हृदय में शूल उठने लगते है।
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहूं लोक में डंका बाजत॥
हिंदी में अर्थ – नगरकोट में आप ही विराजमान हैं। आपका तीनों लोकों में डंका बजता है।
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
हिंदी में अर्थ –आपने शुम्भ और निशुम्भ दानवों का वध किया है। रक्तबीज और शंख का भी वध आपने ही किया।
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
हिंदी में अर्थ –महिषासुर राजा अत्यधिक अहंकारी था। उसके पापों के भार से धरती व्याकुल हो उठी।
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
हिंदी में अर्थ –काली का विकराल रूप धारण किया और आपने उसका सेना सहित संहार कर दिया।
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
हिंदी में अर्थ –जब जब संतों पर विपदाएं आईं तब-तब माता आप सहाय हुई हैं।
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तव महिमा सब रहें अशोका॥
हिंदी में अर्थ – जब तक अमरपुरी और सब लोक रहें तब तक आपकी महिमा से सब शोकरहित रहें।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर नारी॥
हिंदी में अर्थ – आप ही की ज्योति ज्वालाजी में है। नर और नारी सदा आपकी पूजा करते हैं।
प्रेम भक्ति से जो यश गावे।
दुख दारिद्र निकट नहिं आवे॥
हिंदी में अर्थ – हे माता! जो प्रेम, श्रद्धा और भक्ति से आपका यश गाता है, दुख व दरिद्रता उसके निकट नहीं आते।
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताको छूटि जाई॥
हिंदी में अर्थ – जो आदमी आपका ध्यान मन लगाकर करता है, उसका जन्म-मरण से छुटकारा हो जाता है।
जोगी सुर मुनि क़हत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
हिंदी में अर्थ – योगी, देवता और मुनि पुकारकर कहते हैं कि आपकी शक्ति के बिना योग नहीं हो पाता है।
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
हिंदी में अर्थ –(एक मुनि ने) शंकर जी के लिए ने आचारज नामक तप करके काम, क्रोध, मद, लोभ आदि सबको जीत लिया।
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
हिंदी में अर्थ – उन्होने प्रतिदिन शंकर जी का ध्यान किया, लेकिन आपका सुमिरन किसी काल में नहीं किया।
शक्ति रूप को मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछतायो॥
हिंदी में अर्थ – वे आपकी शक्ति का मर्म समझ नहीं पाए। उनकी शक्ति चली गई, तब मन-ही-मन पछताने लगे।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
हिंदी में अर्थ – आपकी शरण आकार उनहोंने आपकी कीर्ति का गुणगान करके जय जय जय जगदम्बा भवानी का उच्चारण किया।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
हिंदी में अर्थ –जब आदि जगदम्बा प्रसन्न हुईं तब उन्होने बिना किसी विलंब के उनकी शक्ति लौटा दी।
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुख मेरो॥
हिंदी में अर्थ – हे माता! मुझे अत्यधिक कष्टों ने घेरा है। आपके बिना मेरा दुखों कौन हर सकता है?
आशा तृष्णा निपट सतावें।
मोह मदादिक सब विनशावें॥
हिंदी में अर्थ –आशा और तृष्णा सदा सताती रहती हैं। मोह और मोद आदि सब दुखी करते हैं।
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
हिंदी में अर्थ – हे महारानी! शत्रुओं का नाश कीजिए। एकचित होकर आपका स्मरण करता हूँ।
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि सिद्धि दे करहु निहाला॥
हिंदी में अर्थ – हे दया करने वाली माता! कृपा कीजिए और ऋद्धि-सिद्धि दे कर मुझे निहाल करिए।
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ॥
हिंदी में अर्थ –जब तक मैं जीवित रहूँ आपकी दया का फल पाता रहूँ। आपका यश मैं सदा सुनाता रहूँ।
दुर्गा चालीसा जो नित गावै।
सब सुख भोग परम पद पावै॥
हिंदी में अर्थ- दुर्गा चालीसा जो नित्य पाठ करेगा, सब सुख भोगकर परमपद को प्राप्त होगा।
देविदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
हिंदी में अर्थ – ‘देविदास’ को अपनी शरण में जानकर उस पर कृपा कीजिए हे जगदंबा भवानी।।
दुर्गा चालीसा आरती
श्री दुर्गा आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निस दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ,
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
माँग सिन्दूर विराजत टीको मृगमद को, मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दोउ नैना चन्द्रवदन नीको।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे, मैया रक्ताम्बर साजे।
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी, मैया खड्ग खप्पर धारी।
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती, मैया नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती, मैया महिषासुर धाती।
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे, मैया शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी, मैया तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों, मैया नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
तुम ही जग की माता तुम ही हो भर्ता, मैया तुम ही हो भर्ता।
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
भुजा चार अति शोभित खडग खप्पर धारी।
मन वाँछित फल पावत सेवत नर नारी।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती, मैया अगर कपूर बाती।
श्रीमाल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
श्रीअम्बे की आरती जो कोई नर गावे, मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे।।
ॐ जय अम्बे गौरी…॥
॥ इति श्री दुर्गा आरती ॥
दुर्गा चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए
दुर्गा चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए इसका कोई विशेष विधान नहीं है। लेकिन अधिकतर साधक इसका 1 अथवा 3 या 5 बार नियमित जप करते हैं। यदि आपकी दिनचर्या अधिक व्यस्त है तो प्रातः केवल 1 बार दुर्गा चालीसा का पाठ करने से भी दुर्गा जी की कृपा प्राप्त हो सकती है।
जिन लोगों के जीवन में अत्यधिक कठिनाइयाँ और परेशानियाँ हैं, उन्हें दुर्गा चालीसा का पाठ दुर्गा सप्तशती के साथ दिन में एक बार अवश्य करना चाहिए। अत्यधिक कष्ट में जीवन जी रहे श्रद्धालुओं को दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का नियमित 3 या अधिक बार पाठ करना चाहिए।
दुर्गा चालीसा का पाठ दुर्गा सप्तशती के साथ करने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है। नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
दुर्गा चालीसा पाठ करने के फायदे
दुर्गा चालीसा पाठ के लाभ और फायदे निम्नलिखित हैं-
- दुर्गा चालीसा के श्रद्धापूर्वक नियमित पाठ करने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।
- दुर्गा चालीसा के पवित्र भाव से नियमित पाठ करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। माँ दुर्गा स्वयं शक्ति, युद्ध और विजय की देवी हैं। प्रसन्न होने पर वह अपने भक्त के शत्रुओं का नाश कर देती हैं और दुष्टों पर विजय प्राप्त होती है।
- इस शक्तिशाली दुर्गा चालीसा के लाभ दुर्गा सप्तशती के समान ही प्रभावशाली और चमत्कारी हैं। इसके पाठ से जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
- पाप कर्मों और अनजाने में हुई त्रुटियों से भी दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ और उच्चारण से छुटकारा मिलता है। दुर्गा देवी कलयुग में व्यक्ति के सभी पापों से रक्षा करने में सक्षम हैं।
- दुर्गा चालीसा पाठ और जप से साधक के अंदर उत्साह, आत्मविश्वास और कर्मठता का संचार होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश और नकारात्मक ऊर्जा के निषेध के लिए भी दुर्गा जी का प्रसिद्ध दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- इस चालीसा का एक महत्वपूर्ण लाभ भय का नाश है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने वाला सभी प्रकार के भय से मुक्त होकर संसार में निर्भय हो जाता है। जिस पर दुर्गा जी प्रसन्न हो जाएँ वह तीनों लोकों में निर्भय हो जाता है।
- दुर्गा चालीसा पाठ का एक बड़ा लाभ है-अन्य देवी-देवताओं का भी प्रसन्न होना। ऐसी मनयता है कि जो साधक दुर्गा जी के चालीसा का नियमित पाठ करते हैं उन पर सभी देवता स्वतः प्रसन्न हो जाते हैं।
- भक्ति भाव से श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्तियों को आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है। धन-धान्य के अभाव में जी रहे लोगों को माँ दुर्गा संपत्ति और ऐश्वर्य प्रदान करती है।
- आध्यात्मिक उत्कर्ष चाहने वाले भक्त लोग भी माँ दुर्गा की प्रसन्नता के लिए श्री दुर्गा चालीसा का नित्य पाठ कर के लाभ उठाते हैं।
माँ दुर्गा व्यक्ति के अंदर मौजूद स्वार्थ, ईर्ष्या, पूर्वाग्रह, घृणा, क्रोध, भय और अहंकार जैसी नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करके सकारात्मक और दैवीय गुणों का संचार करती हैं। दुर्गा देवी को भवानी, शक्ति, देवी, इत्यादि नामों से भी जाना जाता है।
दुर्गा चालीसा किसने लिखी है: दुर्गा चालीसा के रचयिता
श्री दुर्गा चालीसा के मूल रचयिता कौन थे, इसके बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। अभी तक यह निर्विवाद रूप से कहा नहीं जा सकता है कि दुर्गा चालीससा किसने लिखी है। श्री दुर्गा चालीसा के अंत में “देवी दास” नाम का उल्लेख मिलता है। शायद किसी देवी दास नाम के व्यक्ति ने इसकी रचना कि है।
यह भी संभव है कि जिस रचयिता ने श्री दुर्गा चालीसा की रचना की उन्होने अपने नाम के स्थान पर केवल “देवी दास” नाम का उल्लेख कर के छोड़ दिया हो। ऐसे में श्री दुर्गा चालीसा के रचयिता के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकलता।
श्री दुर्गा चालीसा मंत्र
वैसे तो श्री दुर्गा चालीसा में दोहे और चौपाइयाँ हैं, किन्तु भक्त लोग इसके पाठ के समय निम्नलिखित मंत्रों और स्तुतियों से माँ दुर्गा की आराधना कर सकते हैं।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
माँ दुर्गा की स्तुति “श्री दुर्गा चालीसा” महान फलदायक मानी गई है। नवरात्रि के नौ दिन विशेष रूप से दुर्गा देवी की दुर्गा चालीसा पाठ से पूजा अर्चना की जाती है। दुर्गा चालीसा के पाठ से भय का नाश और सुख-संपत्ति का वास होता है।
इस आलेख में आपने Durga Chalisa Lyrics हिन्दी और दुर्गा चालीसा आरती सहित विस्तार से पढ़ा और जाना है। हनुमान चालीसा के समान ही दुर्गा चालीसा का आध्यात्मिक महत्व है और पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा इसका पाठ किया जाता है।
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