Monday, December 4, 2023
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उपवास का आध्यात्मिक महत्त्व

उपवास एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको कुछ समय के लिए भोजन नहीं लेने के लिए नियमबद्ध करती है। जीवन एक लंबी प्रक्रिया है और जीवित रहने के लिए तथा शरीर की सभी आवश्यक गतिविधियों को बनाये रखने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। हालांकि, समय के साथ, उपभोक्तावाद पर आधारित मनुष्य की आधुनिक जीवनशैली ने संपूर्ण भोजन की आदतों को बदल कर रख दिया। शरीर एक परिष्कृत तंत्र है जो उत्कृष्ट रूप से कार्य करता है लेकिन तभी जब भोजन का सेवन उचित ढ़ंग से होता है। आधुनिक भौतिकवादी मनुष्य की “सिर्फ खाने के लिए जीने वाले ” जीवन शैली और दर्शन से पूरी आबादी बीमार और अस्वस्थ हो गई है। उपवास एक ऐसी प्रक्रिया है जो खाने के इस प्रक्रिया को या तो रुक-रुक कर (intermittent fasting ) या लंबे उपवास(long fasting ) के रूप में व्यवस्थित करती है । जूस उपवास , पानी उपवास, या पूर्ण उपवास- उपवास के ही अन्य रूप हैं।

दुनिया में महान पुरुषों और महिलाओं द्वारा किए गए उपवास के कई अनुकरणीय उदाहरण हैं। अब तक किए गए अनेक वैश्विक शोध हैं जो उपवास के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व को स्थापित करते हैं। यह वैज्ञानिक आधारों पर साबित हो चुका है कि उपवास से डेटोक्सिफिकेशन प्रक्रिया शुरू होती है और हमारे प्रतिरक्षा (immunity)को बढ़ावा मिलता है। यह रक्तचाप (blood pressure) को बनाए रखता है और मधुमेह(diabetes) को नियंत्रित करता है। उपवास सूजन को कम करता है, शरीर को क्षारीय (alkaline) बनाता है, और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है। शरीर की क्षारीय प्रकृति आपको कई गंभीर बीमारियों से बचाती है। उपवास चिंता (anxiety) और अवसाद (depression) को भी रोकता है और दीर्घायु को बढ़ाता है|

हालांकि, उपवास का आध्यात्मिक महत्व इसे सर्वोपरि स्थान प्रदान करता है। शरीर, मन और आत्मा अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं। शरीर को जीवित रहने के लिए केवल भोजन की आवश्यकता होती है, जबकि आत्मा को “सर्वोच्च आत्मा ” के साथ जोड़ने की आवश्यकता होती है। अत्यधिक भोजन की तृष्णा और सांसारिक इच्छा हमें “सर्वोच्च आत्मा” से जुड़ा हुआ महसूस करने से रोकती है। उपवास और इसके आध्यात्मिक महत्व को दुनिया के लगभग सभी धर्मों में अपनी जगह मिली यथा-भगवद गीता, बाइबल, कुरान, धम्मपद इत्यादि। आत्मा किसी भी बंधन या दुर्भावना से परे मौजूद अपना अस्तित्व रखता है, हालांकि, जन्म के बाद मानव अनेक प्रकार के बंधनों का आरोपण कर लेता हैं। आत्मा जो शुद्ध और निर्मल होनी चाहिए , अशुद्धियों की अनगिनत परतों से बंधी हुई पाई जाती है। उपवास वह प्रक्रिया है जो आत्मा की शुद्धता (soul cleansing ) का मार्ग प्रशस्त करती है। उपवास करने से व्यक्ति सांसारिक तृष्णा के बजाय स्वयं पर ध्यान केंद्रित करता है। जब आप खुद के साथ होते हैं, तो आप सबसे उपयुक्त तरीके से स्वयं को समझ पाते हैं। आप विचारों, लालसा, घृणा, भय, वासना, क्रोध इत्यादि को समझने लगते हैं। यदि एक बार आप जीवन की इन अशुद्धियों को समझने में सक्षम हो जाते हैं, तो आप स्वतः इन से मुक्त होने लगते हैं।

भगवान बुद्ध ‘आत्मज्ञान’ प्राप्त करने के लिए उपवास के एक उच्चतम स्तर तक चले गए थे। परम सत्य को पाने के लिए उन्होंने चावल के कुछ दानों एवं तीन अँजुली जल पर ही जीवन का निर्वहन किया । बाइबिल में प्रभु यीशु से जुड़े उपवास के कई महान उदहारण मिलते हैं। पैगंबर मुहम्मद ने मन और शरीर की शुद्धि के साथ एक महीने का आंतरायिक उपवास(intermittent fasting) करने की एक महान शिक्षा दी। आधुनिक युग में, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी स्वतंत्रता की लड़ाई में आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए उपवास किया करते थे। उपवास उन्हें असत्य और हिंसा सहित अनेक बुराइयों से लड़ने के लिए तथा सत्य और अहिंसा को समृद्ध करने की ताकत प्रदान करता था |

courtesy: google images

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