
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है -यह एक सार्वत्रिक मत है | मनुष्य का शरीर एक अनवरत उद्भव एवं विकास की प्रक्रिया का परिणाम रहा है | मनुष्य न केवल एक संचेतना है बल्कि उसके शरीर के अंदर अवस्थित मन सर्वोत्कृष्ठ रचना है | मानवीय मन विचार , संवेदना ,भावना, विश्लेषण का जटिल केंद्र है | इन विशेष गुणों के कारण ही मनुष्य सभी जीवों में श्रेष्ठ है | मस्तिष्क जटिल चीज़ो का गहन विश्लेषण एवं अपनी बुद्धिमता का बेहतर उपयोग करता है | मनुष्य के अंदर बुद्धिमता एवं भावनाए साथ -साथ अनवरत क्रिया और प्रतिक्रया करती रहती है | भावनात्मक बुद्धिमता अर्थात इमोशनल इंटेलिजेंस मनुष्य की विशिष्ट बुद्धिमता है जिसके तहत मनुष्य अपनी भावनाओं के साथ -साथ अन्य लोगों की भावनाओं को न केवल समझता है बल्कि सम्यक तरीके से उसका प्रबंधन भी करता है |

परंपरागत तौर पर माना जाता था कि केवल इंटेलिजेंस अर्थात बुद्धिमत्ता ही मनुष्य के विकास और जीवन की उपलब्धियों के लिए उत्तरदायी है | इसी क्रम में इंटेलिजेंस कोसेंट ( IQ test )जैसी प्रणाली का जन्म हुआ | इस प्रणाली के तहत मनुष्य के मस्तिष्क की विश्लेषण क्षमता, मेमोरी क्षमता एवं तार्किक ज्ञान के आधार पर उसकी योग्यता का निर्धारण किया जाने लगा | जिस मनुष्य की बुद्धिमता अर्थात आइक्यू ज्यादा पाया गया उन्हें श्रेष्ठ माना गया तथा जिनका आइक्यू कम पाया गया उन्हें निम्न श्रेणी में रखा गया। कालांतर में यह एक महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आया कि अनेक मनुष्य जिनका आइक्यू लेवल बहुत ही ज्यादा था लेकिन सामाजिक जीवन में अथवा व्यवहारिक जीवन में उनकी उपलब्धि अत्यंत ही खराब थी | वही कुछ लोग जिनका आइक्यू लेवल सामान्य ही था लेकिन वह अपने जीवन में अत्यंत प्रभावी एवं महत्वपूर्ण जीवन उपलब्धियों के शिखर पर पर थे | वर्षों के अनुसंधान के पश्चात वैज्ञानिक इस तथ्य पर पहुंचे की बुद्धिमत्ता नहीं बल्कि मनुष्य की भावनात्मक बुद्धिमत्ता बहुत ही मायने रखती है | हमारी भावनात्मक बुद्धिमता स्वयं की भावनाओं, विचारों ,संवेगों , को बेहतर ढंग से समझती है तथा उसे कैसे नियंत्रण किया जाए यह भी जानती हैं | मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है | समाज और आसपास के मनुष्य के बीच रहते हुए उनकी भावनाओं , विचारों और संवेगों को समझना साथ ही उसके साथ तालमेल बिठाते हुए समाधान तक पहुंच पाना मनुष्य को बेहतर बनाता है। भावनात्मक बुद्धिमता के अंतर्गत मुख्यतः चार तत्व अत्यंत ही महत्वपूर्ण है -स्व -चेतना ,स्व -प्रबंधन ,सामाजिक चेतना और सम्बन्ध प्रबंधन |

स्व -चेतना – यह मत है कि मनुष्य जितना स्वयं को जानता उतना उसे कोई और नहीं जानता | यद्यपि व्यवहार में अधिकांश मनुष्य स्वयं को जानते ही नहीं है| उनका सम्पूर्ण जीवन बेहोशी का है | यदि हम स्वयं को नहीं जानते तो इसमें उत्पन्न होने वाली भावनाओं और विचारों को जानने का तो प्रश्न ही नहीं होता |
भावनात्मक बुद्धिमता की सवार्धिक महत्वपूर्ण शर्त है कि मनुष्य स्वयं के अंदर उत्पन्न विचारों , भावनाओं को समझता और जानता हो | मनुष्य का व्यवहार विचारों और भावनाओं की ही अभिव्यक्ति है | मनुष्य कई बार ऐसे कार्य कर जाता है , जिसका कारण उसे स्वयं ही नहीं पता होता | इसका मूल कारण ही यही है उसमे स्वयं के प्रति चेतना का अभाव है |

स्व -प्रबंधन– जो मनुष्य स्वयं के अंदर उत्पन्न विचारों ,संवेगों को समझ पाता है वही उसका बेहतर प्रबंधन भी कर पाता है | यदि उसे क्रोध आता है तो उसे पता होता है इसका कारण क्या है ? यदि उसे भय या चिंता होती है तो उसे भी समझ रहती है की इसके पीछे कारण क्या है | जिसमे स्व-चेतना का अभाव है वह क्रोध ,भय ,चिंता , डिप्रेशन में ही जीवन व्यर्थ कर देता है | इन परिस्थितियों में मनुष्य स्वयं का बेहतर प्रबंधन नहीं कर पाता |

सामाजिक चेतना– मनुष्य से मिलकर ही समाज का निर्माण हुआ है | मनुष्य को न केवल समाज में रहना है बल्कि अनेक जटिल सामाजिक सम्बन्धो का निर्वहन भी करना होता है | एक पुरुष को एक ही समय पिता , पुत्र ,भाई ,पदाधिकारी , नागरिक, मित्र , प्रेमी , सामाजिक सदस्य इत्यादि अनेक जटिल संबंधों को समझना होता है | उसी प्रकार एक महिला को भी एक ही समय अनेक जटिल सामाजिक संबंधों के प्रति चेतनता को बनाये रखने की चुनौती होती है | मनुष्य को समाज में दूसरों के प्रति करुणा अथवा सहानुभूति का भाव भी रखना होता है | सामाजिक चेतना के तहत मनुष्य अपने आस -पास वातावरण के प्रति होशपूर्ण एवं जागरूक रहता है |

सम्बन्ध प्रबंधन– मनुष्य के जटिल सम्बन्ध और उसका सम्यक प्रबंधन उसके व्यक्तिगत और पेशेवर उपलब्धियों का आधार है | केवल बुद्धिमता से ही आप सामाजिक सम्बन्धो का कुशल प्रबंधन नहीं कर पाते | भावनात्मक बुद्धिमान मनुष्य अपने व्यक्तिगत जीवन में रिश्तो के अंतर्गत उत्पन किसी भी समस्या का समाधान कर लेता है | स्वस्थ पारिवारिक सम्बन्ध मनुष्य के अभिप्रेरणा एवं उत्पादकता को बेहतर बनाते है | यह मनुष्य अपने कार्यस्थल पर भी सह -कर्मियों के मध्य उत्पन्न किसी भी जटिल समस्या का समाधान पा लेता है | वह अन्य लोगों को प्रभावित करने में सक्षम होता है | भावनात्मक बुद्धिमता वाला मनुष्य लोगो के साथ सहज ही तालमेल बिठा लेता है | फलतः टीमवर्क का स्पष्ट लाभ संगठन को प्राप्त हो जाता है | भावनात्मक बुद्धिमता मनुष्य को सहज ही दुसरो में सकारात्मक प्रभाव पैदा करने के कारण प्रभावी नेता बना देता है |

वर्तमान शिक्षा प्रणाली की अन्तर्निहित कमियों ने मनुष्य को ऐसा ज्ञान दिया है की वह सॉफ्टवेयर की जटिल से जटिल समस्याओं को तो सुलझा लेता है लेकिन जीवन में सम्बन्धो की एक छोटी समस्या को सुलझा पाने में असफल रहता है | जीवन में उपन्न तुच्छ समस्या उसे चिंता , तनाव और डिप्रेशन के चक्र में ले जाती है | कुछ मनुष्य तो कायरतापूर्ण इस बहुमूल्य जीवन से पलायन कर आत्महत्या की प्रवृति तक चले जाते है | उनके पास इंटेलीजेंट क्वोशेंट के उत्कृष्ट अंक होते है लेकिन जीवन में वे अत्यंत असफल सिद्ध होते है | भावनात्मक बुद्धिमता इन सभी मानवीय समस्याओं के समाधान का विकल्प देता है | भावनात्मक बुद्धिमता जीवन को उत्कृष्ट रूप में जीने का मार्ग प्रशस्त करता है |
courtesy : Google images